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थोड़ा सा मुस्कराना जरूरी है

थोड़ा सा मुस्कराना जरूरी है

सुख के लिए दौड़ धूप करना दुःख से दूर भागना,

एक निरंतर क्रिया है आसान नही है

ये जिंदगी की डगर मिलेंगी चुनौतियां

कदम कदम पर हौंसले बुलंद करने के लिए

थोड़ा सा मुस्कुराना जरूरी है।

आज मां धरती प्यासी है दुनिया बन गई है

विकराल मानव तू पहले समझदार कहलाता था

आज तूने क्यों,अपना रूप बदल लिया है

फूलों की तरह फिर,खिलखिलाने महकने

थोड़ा सा मुस्कुराना जरूरी है।

तेरा जो सच्चा मित्र होगा वो तेरा हौसला बढ़ाएगा,

तुझें राह दिखाएगा आत्मविश्वास आत्मबल

के साथ अपने स्वप्न रूपी पंखों को फ़ैला।

रुकना मत ये सोचकर कि अभी रातों के अंधेरे है

ख़ुद ब खुद भोर हो जायेगी तोड़ उदासी का ताला

तुम थोड़ा सा मुस्कुराना जरूरी है।

नूतन लाल साहू

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